जग हमे भुल जाये, पर तुम ना भुलाना कभी
आँखे कभी हमारी मिल जाये तो, आँखे ना चुराना कभी
हम जिन्दगी का सफ़र , साथ निभा तो नही सकते
पर जब साथ देने का समय आये तो हाथ ना छुङना कभी।
Nisha nik.
जग हमे भुल जाये, पर तुम ना भुलाना कभी
आँखे कभी हमारी मिल जाये तो, आँखे ना चुराना कभी
हम जिन्दगी का सफ़र , साथ निभा तो नही सकते
पर जब साथ देने का समय आये तो हाथ ना छुङना कभी।
Nisha nik.
4 comments on “आँखे कभी हमारी मिल जाये तो”
Gazab. Bahut badhyan
मैं भी तनहा हूँ खुदा भी तनहा, वक़्त कुछ साथ गुज़ारा जाए
ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए, इतना तो हुआ, कुछ लोग पहचाने गए, होश मुझे भी आ ही जायेगा मगर , पहले ! दिल तेरी याद से रिहा तो हो,
हम्म जो तुम बोलो तो बिखर जाऐंगे,
जो तुम चाहो संवर जाऐंगे,
एय दुनियाँ वालों जरा
मगर ये टूटना-जुड़ना हमें तकलीफ बहुत देता है
Mind your language
badhiya