रहा फैसला निकहा दादू,
होइ गइ चूक समीक्षा मा।
बिन तइयारी बइठी गये हों Read more
ये अलहड सी हवायें,
मुझको तेरी याद दिलाती हैं।
जब पूरवायि चलती हैं
तो तेरे पास होने का ऐहसास दिलाती है।
ये गरम-गरम सी हवायें तेरे दूर होने की
खबर से मेरे दिल को जलाती है।
ये अलहड सी हवायें ,
मुझको तेरी याद दिलाती है।
आप हम से न बोले तो बेखुदी हमारी बढती है,
हम आप से न बोले तो जा हमारी निकलती है,
हम किस दरद से गुजर रहे है ये खुद से पूछिये
क्योंकी जो दरद हम सह रहे है ,
आप भी उसी दरद से गुजर रहे है।
आसउं दादू लड़ें सरपंची हमार।
बड़े शौखि से परचा भरिगा,
फोटो सोटो खीचिन। Read more
भारत का किसान आज भी परेशान
ना कोई पहचान ना कुछ सम्मान
भारत के रीढ़ में क्यूँ है पीड़ Read more
खूब रंग उड़ाइये, खूब गाइये फाग।
हुड़दंग में मत भूलिए,मानवता का राग।।
रहे चेत इस बात का, न बिगड़े कछु काज।
ऐसी होली इस बार हो, स्वच्छ रहे समाज।।
बिना गाली-गलौज के उस बद्जबान को मेरा जवाब –
भारत माँ के जयकारे का,
तुझको है कोई ज्ञान नहीं।
तू फर्जों को भूल गया, Read more
बुधिया ने हर बार की तरह
इस बार भी
पूरा खेत बोया था
लहलहाती फसलों को देख Read more
उठि भिन्सारे कहबा करी, के दादू थोड़ क पढ़िले,
बोर्ड कलास हइ करु न आलसि, लाला पढ़िले-पढ़िले।
जुलाई से स्कूलि खुली त, पोथी नहीं उठाय, Read more