तुम लाख़ कोशिशें करलो ‘आकाश’, अब कभी ना हो पायेगी सुलह,
गर फ़िर भी मिलना चाहो, तो मिलते रहना एक अजनबी की तरह…
तुम मुझ पर लगाओ मैं तुम पर लगाता हूँ,
ये ज़ख्म मरहम से नही इल्ज़ामों से भर जायेंगे. ~a~
कल रात फिर से ख्वाब में तुम आये मगर,
सुनो अपनी मजबूरियां साथ ना लाया करो… ~a~
जो समझते थे की पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है,
प्यार के लिए पल-पल तरसते मैंने ऐसे कई लोग देखे हैं…
नींद उड़ा कर मेरी कहते है वो कि सो जाओ कल बात करेंगे,
अब वो ही हमें समझाए कि कल तक हम क्या करेंगे…Akash
मैंने तुम्हारी मजबूरियां समझी और तुम्हे जाने दिया,
अब तुम भी मेरी मजबूरी समझो और वापस आ जाओ… Akash