किस दर जाऊ ?
मुझे पता ही नही
किससे मांगू ? Read more
किस दर जाऊ ?
मुझे पता ही नही
किससे मांगू ? Read more
हम दुअओ में तुम्हे मांगना नही चाहते
पर तुम्हे ही पाने की सोचते है Read more
आंसुओ का कैसा ये मंजर है
ऐसा लगता आँखो में ही समन्दर है
आब -ए -चश्म आँखो से सदा बहता है
ऐसा लगता समन्दर का आब -ए -तल्ख़ है।
-Nisha nik
मोहबत में तन्हाई है
तेरे और मेरे मिलने में रूसवाई है
तूने अपनो को छोङा मेरे लिए
खुदा की नाइंसाफी देखो
मैने जग ही छोङ दिया तेरे लिए।
हर बार थामती हूं आंसुओं का दामन, पलकों की कगारों पर
रूसवा न कर दें सब्र को मेरे, कहीं बाहर निकल कर….
गर मै तेरे अन्दर कहीं ठहर गयी हूं
तो हर सांस के साथ तुझमें जी लूंगी
आभा..
ऐ अन्ज़ान,
जब मेरी जात से जी भर जाये तो बता देना,
मै आँख से आसूँ की तरह खुद ही निकल जाऊंगा।
ऐ अन्ज़ान,
तुमने मुझसे और बदले में मैने,
ना जाने किस-किस से बेवफाई की।
ऐ अन्ज़ान,
तुम्हारा भी कुछ कसूर है इस मेरी आवारगी में,
कि तुम्हारी याद जब आती है तो ये आज़मगढ़ शहर अच्छा नही लगता।
धोखा लगी मेरी मोहब्बत ज़माने को,
वो जो कईयों से कर रही है उसे प्यार कहते हैं….
इन्दर गुन्नासवाला
वो ख़्वाब है हक़ीक़त बनता नज़र नहीं आता
ये ख़्वाब मिरा मरने तक मरता नज़र नहीं आता
—-सुरेश सांगवान’सरु’ Read more
इश्क की अदालत में हार मेरी लाज़िमी थी,
ये नादाँ दिल मेरा पैरवी उसकी करता रहा.
~ मनोज सिंह”मन”
जो नज़रो से एहतराम,हमारा नही करते,
उनसे गुफ्तगूं भी, हम गंवारा नही करते,
तरसते रहे दीवाने, उनके दीद को,मगर, Read more
जिंदगी एक, और मौत हज़ार मिली,
हमें गम-ए-फ़िज़ा, तुम्हें बहार मिली,
मैने वफ़ा के नाम पे, लुटाया आशियाँ, Read more
मेरे बद हालात पर हँसने लगे है लोग,
ताने भी कैसे-कैसे अब कसने लगे है लोग।
समझ रहा था जिन चेहरों को अपना मैं,
उन चेहरों में अब पराये बसने लगे है लोग।
-इन्दर गुन्नासवाला
पानी से भी आजकल सस्ता हो गया
ज़मीर आसान-ओ-आम रास्ता हो गया
-सुरेश सांगवान’सरु’
माना महरूम हुये है हम तेरी चाहत से,
मगर यकीं उठा नही है अभी मोहब्बत से,
जब भी दिख जाओगे कंही राहों में हमें, Read more
चले गये वो तो होश आया मुझे/
कई अनकहे शिकवे रखे रह गये//
आभा….
ऐ अन्ज़ान,
तुम्हारी यादों की मिट्टी में,
आज फिर उन जख्मी लम्हों को दफ़ना कर आया हूँ।
ऐ अन्ज़ान,
इससे बेहतर क्या सजा थी, जो वो देती मुझको।
कर गयी मुझको तनहा, मगर अपना बना के।