मैं कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है
मगर उसने मुझे चाहा बहुत है
खुदा इस शहर को महफूज़ रखे Read more
मैं कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है
मगर उसने मुझे चाहा बहुत है
खुदा इस शहर को महफूज़ रखे Read more
अपनी इन नशीली निगाहों को जरा झुका दीजिए जनाब,
मेरा मजहब मुझे नशे की इजाज़त नहीं देता ।
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा
बेवक़्त अगर जाऊँगा, सब चौंक पड़ेंगे Read more
ख़ुदाया प्यार में यूँ बंदगी अच्छी लगी
रही मैं ना मैं मुझे बेखुदी अच्छी लगी
खलाएँ जीस्त की मेरी तमाम भर गई Read more
सब के कहने से इरादा नहीं बदला जाता
हर सहेली से दुपट्टा नहीं बदला जाता
हम तो शायर हैं सियासत नहीं आती हमको Read more
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
तुम्हे ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा Read more
किस्मत ने साथ छोड़ा तो पानी की बूँद के लिए तरस गये
मोहसिन
वरना एक जमाना ऐसा था लोग रो रो के आंसू पिलाते थे…
तुझे याद ना करू तो जिस्म टूटता है मेरा फ़राज़
उम्र गुजरी है तेरी याद का नशा करते करते…
तुम मुझे छोड़ कर जाओगी तो मर जाऊँगा
यूँ करो, जाने से पहले मुझे पागल कर दो…
आँख के आंसू सूख चले हैं,
होठों की मुस्कान है खो चली,
अब तो तेरी याद में, Read more
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।
होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते Read more
ऐसा लगता ज़िन्दगी तुम हो
अजनबी कैसे अजनबी तुम हो।
अब कोई आरज़ू नहीं बाकी Read more
रौनक-ए-बज़्म, जीनत-ए-खुदाई,
नूर-ए-चश्म, हुस्न इन्तहाई ||
शब-ए-शायर, जाम-ए-शिरीं, Read more
सफर मोहब्बत का दुश्वार कितना है,
मगर देखना है कोई वफादार कितना है,
यही सोच कर कभी उसे नहीं माँगा हमने,
उसे आजमाना है की वो मेरा तलबगार कितना है…
एक ही चौखट पे सर झुके तो सुकून मिलता है,
भटक जाते हैं वो लोग जिनके हजारों खुदा होते हैं…
वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं,
वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए…
मेरी मुहब्बत मेरे दिल की गफलत थी, मैं बेसबब ही उम्र भर तुझे कोसता रहा,
आखिर ये बेवफाई और वफ़ा क्या है, तेरे जाने के बाद देर तक सोचता रहा…
हमसे भुलाया नही जाता एक “मुख्लिस” का प्यार,
लोग जिगर वाले है जो रोज़ नया महबूब बना लेते है…<3
रहता हूँ मैखाने में तो शराबी न समझ मुझे,
हर वो शख्स जो मस्जिद से निकले नमाज़ी नहीं होता..
अगर कुछ सीखना है तो आँखो को पढना सीख लो,
वरना लफ़्ज़ों के मतलब तो हजारों निकलते हैं…