मीठी नशीली बातों का काफ़िला भी देखा है
जाने ग़ज़ल हमने वो काफ़िया भी देखा है
पूछे लोग मुझसे क्या मैक़दा भी देखा है Read more
मीठी नशीली बातों का काफ़िला भी देखा है
जाने ग़ज़ल हमने वो काफ़िया भी देखा है
पूछे लोग मुझसे क्या मैक़दा भी देखा है Read more
दुनियां तेरी भीड़ में शामिल मैं भी हूँ
तेरी तरहा दर्दो को हासिल मैं भी हूँ
इक अपना ख्याल रखा होता तो काफ़ी था Read more
इक ज़रा सी ज़िंदगी में इम्त्तिहां कितने हुये
बोलने वाले न जाने बेज़ुबाँ कितने हुये
ध्रुव तारा ज़िंदगी का कौन होता है कहीं Read more
बुझे चराग़ में भी कुछ जला रखा है
ज़िंदगी में क्या जाने मज़ा रखा है
नहीं होता ज़ोर किसी का किसी पर Read more
पिला दे कितनी भी साक़ी फिर भी
रह जाती है क़सक बाक़ी फिर भी
–सरु
हर शख़्स का जहां में ये हाल-ए-ज़ार रहता है
नज़र में किसी का पल-पल इंतेज़ार रहता है
–सुरेश सांगवान’सरु’
चांदनी बिखरा रहा है चाँद फिर भी
लोग हैं के कैद करने में लगे हैं
सुरेश सांगवान’सरू’
इक बार मुझे भर के नज़र देख लेने दो
अपनी मोहब्बत का असर देख लेने दो
हर तस्वीर में मेरी तेरे ही रंग हों Read more
मलाल इस बात का रहेगा उम्र भर मुझे
बहुत देर से आई जिंदगी की कदर मुझे
–सुरेश सांगवान’सरु’
कचरे का ढेर दरीचे में रख छोड़ा है मैनें
इन आँधियों का गुरूर कुछ यूँ तोड़ा है मैनें
–सुरेश सांगवान’सरु’
सर-ए-राह-ए-तलब दुनियां ग़म लेती है
ज़ुल्फ है की उलझ कर ही दम लेती है
—सुरेश सांगवान ‘सरु’
ठोकरें जब ज़ीस्त दर-बदर खाती है
तमन्ना का क्या है बदल जाती है
–सुरेश सांगवान’सरु’
होता है हर एक का ख़्याल अपना नज़र अपनी
दौर-ए-गुमनामी में रखिये सिर्फ़ ख़बर अपनी
–सुरेश सांगवान’सरु’
भारत का किसान आज भी परेशान
ना कोई पहचान ना कुछ सम्मान
भारत के रीढ़ में क्यूँ है पीड़ Read more
न जाइये अंधेरों को यूँ मेरा हम सफ़र करके
कई काम अधूरे बाक़ी हैं आ जाओ सहर करके
–सुरेश सांगवान’सरु’
दर्द लाख सही बेदर्द ज़माने में
मगर जाता भी क्या है मुस्कुराने में
सुरेश सांगवान ‘सरु
मोहब्बत करने वालों का मक्का भी मदीना भी
ताज दिलों की धड़कन है ज़ेवर भी नगीना भी
–सुरेश सांगवान ‘सरु’
बहती धारा के साथ बहो किनारा छोड़ दो
रखो यकीं खुद पे दुनियाँ का सहारा छोड़ दो
—-सुरेश सांगवान’सरु’
ये कौन न जाने दुआएँ दे रहा है
सूखे पत्ते को हवाएँ दे रहा है
–सुरेश सांगवान ‘सरु’
अपना ही शहर आज मुझे बेगाना क्यूँ लगा
मेरी ग़रीबी की हक़ीक़त अफ़साना क्यूँ लगा
प्यार सदा से था इसमें दिल ही ऐसा पाया है Read more