उनकी यादों को पहन……….कर मतवाली हुयी जाती है
ऎ रात……….. इस सांझ को काजल का टीका लगा दो ना….
आभा चन्द्रा…
बादशाहत की चाहत किसको है~~~~
दिल इश्क की फक़ीरी में ख़ुदा है~~~~
आभा….
एक सूनी अकेली राह चलती
चेहरे पर मुस्कान चस्पां किये
राह की झाड़ियों से रिवाज़ों Read more
हर बार थामती हूं आंसुओं का दामन, पलकों की कगारों पर
रूसवा न कर दें सब्र को मेरे, कहीं बाहर निकल कर….
अगर लौटा सको तो वो हसीन पल दे जाना
जिसमें तुम हमारे और हम तुम्हारे थे..
आभा..
गर मै तेरे अन्दर कहीं ठहर गयी हूं
तो हर सांस के साथ तुझमें जी लूंगी
आभा..
ये मेरी आदत बहुत पुरानी है
पढने और पढ कर लिखने की
मगर मैं अक्सर टूट जाती हूं Read more
रोज़ तेरा इंतजार करती हूं
रोज़ तेरा एतबार करती हूं
तू आ पाये या न आये पर
तिरी महक में डूबी रहती हूं
आभा चन्द्रा
चाँद मुखबिर है तुम्हारा, तो होने दो
याद में नैना मुस्करायें है शब भर
आभा..
वो नन्हा सा इक पल जाने
कैसे छल गया मुझको
लाख बचाया लाख सम्हाला Read more
यादों की कतरन जोड़ कर मैं आंचल बुन रही हूं
वक्त का रेशम धागा लेकर इक इक लम्हा चुन रही हूं
आभा..
प्रार्थनायें क्या होतीं हैं
मन का विश्वास होतीं हैं
बंधती हुयी आस होतीं हैं Read more
मेरी खिड़की पर जा बैठा
अजनबी सा ये सूनापन
घेर लेता है अक्सर ही Read more
अरसा हुआ तेरी बांहो से छूटे हुये मगर
बंद पलकों में हर सांस महकती है..
आभा..
जो लफ्ज़ पढ लिये है आंखो ही आंखों में
उनके लबों से सुनने की तमन्ना है बस….
आभा..
लिखने को, कब लिखती हूं मैं
बस कागज़ पे दिल रखती हूं मैं
आभा..
अग्निकुंड में डूब कर
भी “मैं” नहीं पिघलता
जलता हूं फिर भी नही मरता Read more
इक रोज़ संग साथ बैठे बैठे
कलम कागज़ और कीबोर्ड बतिया बैठे
अपनी श्रेष्ठता के मद में कीबोर्ड चूर चूर था Read more
तुझे इश्क़ कर के ये यक़ीन हुआ कि
इबादत
के लिए ख़ुदा का मिलना ज़रूरी नहीं है
आभा..
इस क़दर अजनबीपन अपने ही घर में लगा
जो भी अकेला मिला अपना सा लगने लगा..
आभा..