फिर एक मंदिर ढहा है आज,
एक मस्जिद शहीद हुई है,
इंसानों की बस्ती मैं देखो आज, Read more
अब्र की स्याही से लिखा लगता है,
भविष्य मेरे देश का,
कि जल कर ख़ाक हुआ जाता है, Read more
“मौन” है जिनकी वाणी, “मौन” ही जिनका ध्यान,
“मौन” ही जिनकी साधना, वो हैं मेहेर बाबा “मेहेरवान”|
“मौन” रहकर ही दिया, उसने “मौन” का ज्ञान, Read more
आँख के आंसू सूख चले हैं,
होठों की मुस्कान है खो चली,
अब तो तेरी याद में, Read more
गए ज़माना हुआ तुझे,
ऐ मेरे लख्त-ए-जिगर,
आ भी जा अब लौट कर, Read more
अस्मत क्या बिकाऊ थी उसकी,
जो तूने लूट ली?
करके एक अबला की इज्ज़त को तार-तार,
अपने पुरुषार्थ की चादर ओढ़ ली||
किसी के चमन की कली, Read more
नीरव शान्ति में, ओस की बूंदों का शोर,
झंकृत होता वातावरण, आकर्षित करता अपनी ओर ||
पत्तों से भरा दलदल, फंसे हुए जानवर की तड़प, Read more
रौनक-ए-बज़्म, जीनत-ए-खुदाई,
नूर-ए-चश्म, हुस्न इन्तहाई ||
शब-ए-शायर, जाम-ए-शिरीं, Read more
निःशब्द शान्ति का आवरण ओढ़े ज़िन्दगी, तलाशती है अपने अतीत को,
दूर बहुत दूर जाती है पीछे, एक झलक देखने अपने आप को ||
ज़िन्दगी ने देखा, उसपर धूल जमी थी, पर घाव हरा था, Read more
लिखना चाहा ख़त तुझे एक शाम,
क़लम हाथ में और बगल में जाम,
सोचा था शिक़ायत लिखूंगा, शिक़वे करूंगा, Read more
नेपथ्य से आवाज़,
“तू कौन है?”
फिर एक शान्ति,
जवाब ??
एक प्राण, एक अन्तश्चेतना, Read more
एक अनजाना सा भय है आज मेरे मन में,
अपनी मंजिल की डगर में कि अगले पल क्या होगा |
जवाब ढूँढता हूँ मैं, इन वीरान राहों में, Read more
कोलाहल मन के भीतर, अंतर्मन व्याकुल,
भयाक्रांत सब दिशायें, हलचल प्रतिपल|
स्वर्णिम दिवस हरित रात्रि,कहाँ ग़ुम हुई?, Read more
उसकी सोच का आयाम तंग होता जा रहा है |
मृगमरीचिका सी लालसा के पीछे लपकता जा रहा है | Read more
हुआ बहुत प्रलाप अब, दूर करो संताप अब,
निर्दोषों के खून का, धरती मांगे हिसाब अब |
सूनी कोख और सूनी बाहें, राह तकती सूनी निगाहें, Read more
नव वर्ष के अभिनन्दन को आतुर सारा संसार,
भूल गए वो ज़ख्म पुराने, वो खून का कारोबार!
पिछले वर्ष ने बहुत रुलाया , सबकी नींद उड़ा दी, Read more
मुझे गर्व था कि मैं तुझे जानता हूं,
मेरी सभी रचनाओं में दुनिया वाले तेरी छवि देखते हैं|
यहां आ कर वे पूछते हैं “ये कौन है? Read more