जमा पूरी रकम को, कालाधन न कहो साहब,
गरीबों के एक-एक रुपये का,उसी में हिसाब है।
कालाधन तो अब,आप जैसों से निकले हैं,
जो कि हर हाल में, देशहित में खराब है।
गड्डी महलों की या न निकली,
अपने बटुए से नोट पुराने चले गए।
सुबह शाम हम खड़े कतारों में हर दिन,
बैंकों से महलों में पैसे चले गए।
# नोटबंदी- एक सिलसिला#
रहा फैसला निकहा दादू,
होइ गइ चूक समीक्षा मा।
बिन तइयारी बइठी गये हों Read more
नहीं अच्छे लगते उन वादों जैसे दिन,
कहां गए वो फरिश्ते जिन्होंने वादे किए थे।
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दिल में कोई राज हो तो मत छुपाना,
धड़कन-ए-आवाज हो तो मत छुपाना।
मित्रता के हर कयास पर कायम रहूंगा मैं, Read more
बागों में विविध पुष्प और मनभावन उनकी लाली,
भर गया सलिल चहुँ ओर दिखती हर दिश ही हरियाली।
पतझड़ में उजड़े पत्ते आए,भर गई पात से डाली, Read more
तड़ित की चमक-दमक में देखो,मेघों ने आवाज किया,
हल्की-फुल्की बूँदों से कैसे, बारिश का आगाज किया।
देखो बेल हुई मतवाली ,कुँन्जें सारी मदहोश हुई,
उपवन ने भी अपने रुख का मधुशाला अंदाज किया।
कोई दर्द, कोई चुभन जब हद से गुजर जाए,तो याद करना,
जिन्दगी में कभी जरूरत पड़ जाए,तो याद करना।
बिछड़ते वक्त के ये आखिरी, अल्फाज थे उनके, Read more
ये ज़र, ये जमीं, ये सारे एहतमाम,
अदावत हैं यहीं के, वरना कहां से लाया था मैं।
मुद्दतों बाद वो दिखे मुझे,
पर अपनों की निगरानी थी,
खुश्बू जानी-पहचानी थी। Read more
रह-रह कर अब याद आ रहा,
वो मेरा एकाकी जीवन।
इक कमरे का रहवासी था, Read more
न देखिये यूं तिरछी निगाहों से मुझे,
अभी-अभी तो होश में आया हूँ मैं।
मदहोश था अब तक उनकी आराईश में यूं, Read more
तड़ित की चमक-दमक में देखो, मेघों ने आवाज किया,
हल्की-फुल्की बूँदों से कैसे, बारिश का आगाज किया।
देखो बेल हुई मतवालों, कुँन्जें सारी मदहोश हुई,
उपवन ने भी अपने रुख का मधुशाला अंदाज किया।
दिल के जख्मों पर, मलहम लगा दिया,
वरना नासूर हो जाता, तो क्या करता।
नामूमकिन ख्वाबों को, खामोश कर दिया, Read more
आसउं दादू लड़ें सरपंची हमार।
बड़े शौखि से परचा भरिगा,
फोटो सोटो खीचिन। Read more
शाम जैसे-जैसे सहर को ढ़लती गई,
हसरत की आंधी दिल में मचलती गई।
वो आएं न आएं मुकर्रर उनको करना है,
अपनी तो हर रात तसव्वुर में ही पलती गई।
इस मर्तबा सफर यूँ बेकार रहा,
उनकी गली में भी उनका दीदार न हुआ।
छोड़ आया उसकी गली भी, मयखाना भी,
जबसे पता चला वहां बेकदरे आने लगे।
खुशी मुझे इतनी की बसर हो जाय,
उन्हें महल से घर में एहतमाम की चिंता थी।
हम मिल बांट के गुजर करते हैं अब भी, Read more
उनसे मत कहना, कि उन्हें याद किया है,
ऐ हवा उनसे मिलके आना जरुर।
मुझे जुल्फें संवारने का मौका दें ना दें, Read more