आ रहा था मज़ा जिंदगी का हमें,
शौक भारी पड़ा आशिकी का हमें,
दूर हम से हमारा सनम है अभी, Read more
आ रहा था मज़ा जिंदगी का हमें,
शौक भारी पड़ा आशिकी का हमें,
दूर हम से हमारा सनम है अभी, Read more
ए दिल जरा बता दे ,ये कैसे है मुनासिब,
कि प्यार भी हो जाये,बर्बाद भी न हो हम,
अबतक नही हुआ जो,वो चाहता है तू क्यों, Read more
यूँ लगने लगी है अब जहर जिंदगी,
तड़पा रही है कुछ इस कदर जिंदगी,
यंहा उजालों के पीछे अँधेरा है बहुत, Read more
जश्न मना काफ़िर जरा, आज मौका ख़ुशी का है,
जला है घर मेरा अभी, ये नज़ारा उसी का है,
बातें लिखी है वादों भरी, इन रद्दियो के ढेर में, Read more
चाँद भी शरमाता है, यूँ देख के तेरा बाँकपन,
गैरों से तो ठीक है, अपनों से कैसा परदापन,
जाने कब जानोगी तुम, प्यार है ये जन्मों का, Read more
चांदनी क्यों इतराती है खुद पे इतना,
कंही छुप जाये मेहताब,तो क्या होगा,
कुछ रुका सा है,नाजुक सी पलकों में, Read more
इश्क की अदालत में हार मेरी लाज़िमी थी,
ये नादाँ दिल मेरा पैरवी उसकी करता रहा.
~ मनोज सिंह”मन”
बता दे यार मेरे तुझको प्यार है कि नही,
मेरे नसीब में भी कोई बहार है कि नही,
तेरी उम्मीद पे ठहरा हूँ मुद्दत से राहों में, Read more
जो नज़रो से एहतराम,हमारा नही करते,
उनसे गुफ्तगूं भी, हम गंवारा नही करते,
तरसते रहे दीवाने, उनके दीद को,मगर, Read more
जिंदगी एक, और मौत हज़ार मिली,
हमें गम-ए-फ़िज़ा, तुम्हें बहार मिली,
मैने वफ़ा के नाम पे, लुटाया आशियाँ, Read more
माना महरूम हुये है हम तेरी चाहत से,
मगर यकीं उठा नही है अभी मोहब्बत से,
जब भी दिख जाओगे कंही राहों में हमें, Read more
उन नादानियों के दौर से यूँ हम भी गुज़रे थे,
अब क्या बताये आपको कि कैसे बिखरे थे,
शिकवे शिकायत रूठना रोज़ की बात रही, Read more
ये तो ना सोचा था हमने, कोई ख़ुदा हो जायेगा,
दिल से दिल लगा के हमसे, वो जुदा हो जायेगा,
दर्द दिल में है अगर, फ़िक्र फिर किस बात की, Read more
उन नादानियों के दौर से यूँ हम भी गुज़रे थे,
अब क्या बताये आपको कि कैसे बिखरे थे,
शिकवे शिकायत रूठना रोज़ की बात रही, Read more
एक मसला-ए-मोहब्बत, जो कभी सुलझा नही,
हमने कभी कहा नही, उसने कभी समझा नही,
ये इश्क में सजा रही, अब जिंदगी में मज़ा नही, Read more
इज़हार क्यों किया था, इकरार क्यों किया था,
जब जाना बहुत दूर, फिर प्यार क्यों किया था,
ना थी कोई रंजिश, और ना थी कोई शिकायत,
जब हार गया दिल तुझपे, ये वार क्यों किया था.
~ मनोज सिंह “मन”
वो जाते हुये प्यार में, निशानी दे गया,
इक उम्रभर को, आँख में पानी दे गया,
ज़माने से छुपाई थी, बातें मोहब्बत की,
वो ज़माने को सुनाने को, कहानी दे गया,
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मनोज सिंह”मन”
दूर जाने से पहले, मेरी जिंदगानी ले जा,
तू मेरे नादाँ दिल से, थोड़ी नादानी ले जा,
कैसे बताओगे सबको, जुदाई का सबब तुम, Read more
जब कभी भी मन उदास होता है,
तन्हा होने का अहसास होता है,
क्यों ख़ुशी पल में यू रूठ जाती है, Read more
मैने छोड़ा है शहर,एक कसम के लिये,
कोई बदनाम न हो जाये,कंही मेरे लिये,
तुम से मिल के,फिर कभी मेरा न रहा, Read more