जहां तक हो सका हमने तुम्हें परदा कराया है
मगर ऐ आंसुओं! तुमने बहुत रुसवा कराया है
चमक यूं ही नहीं आती है खुद्दारी के चेहरे पर Read more
जहां तक हो सका हमने तुम्हें परदा कराया है
मगर ऐ आंसुओं! तुमने बहुत रुसवा कराया है
चमक यूं ही नहीं आती है खुद्दारी के चेहरे पर Read more
सब के कहने से इरादा नहीं बदला जाता
हर सहेली से दुपट्टा नहीं बदला जाता
हम तो शायर हैं सियासत नहीं आती हमको Read more
अजब दुनिया है नाशायर यहाँ पर सर उठाते हैं
जो शायर हैं वो महफ़िल में दरी-चादर उठाते हैं
तुम्हारे शहर में मय्यत को सब काँधा नहीं देते Read more
दिल ऎसा कि सीधे किए जूते भी बड़ों के,
ज़िद ऎसी कि ख़ुद ताज उठा कर नहीं पहना !
-मुनव्वर राना
रोने में इक ख़तरा है, तालाब नदी हो जाते हैं
हंसना भी आसान नहीं है, लब ज़ख़्मी हो जाते हैं
इस्टेसन से वापस आकर बूढ़ी आँखें सोचती हैं Read more
मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है
हुकूमत के इशारे पे तो मुर्दा बोल सकता है
यहाँ पर नफ़रतों ने Read more
बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है ,
न रोया कर बहुत रोने से छाती बैठ जाती है ,
यही मौसम था जब नंगे बदन छत पर टहलते थे, Read more
मेरी ख़्वाहिश है कि फिर से मैं फ़रिश्ता हो जाऊँ,
माँ से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊँ,
कम-से कम बच्चों के होठों की हंसी की ख़ातिर, Read more
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है,
रोज़ मैं अपने लहू से उसे ख़त लिखता हूँ, Read more
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये,
आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिये,
आप दरिया हैं तो फिर इस वक्त हम खतरे में हैं,
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हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं,
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं…♥
बुलंदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती है
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है
बहुत जी चाहता है कैद ए जाँ से हम निकल जायें
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है…
-मुनव्वर राना
तुम्हारे जिस्म की खुशबू गुलों से आती है
ख़बर तुम्हारी भी अब दूसरों से आती है
हमीं अकेले नहीं जागते Read more