रंग बहारों के उतर क्यूँ जाते
ख़ुश्बू के तेरी असर क्यूँ जाते
शाख-ए-मोहब्बत जो रहती हरी Read more
रंग बहारों के उतर क्यूँ जाते
ख़ुश्बू के तेरी असर क्यूँ जाते
शाख-ए-मोहब्बत जो रहती हरी Read more
रंगों में घुली लड़की क्या लाल गुलाबी है,
जो देखता है कहता है क्या लड़की शबाबी है,
पिछले बरस तूने जो भिगोया था होली में, Read more
होली पर अपने चेहरे को रंगों से सजाने की ज़रूरत क्या थी,
इन हसीन नैन औ नक्श को रंगों के पीछे छुपाने की ज़रूरत क्या थी,
हम तो कल भी आपको बन्दर समझते थे, Read more
ख़ुशी के इस पल में ये दिल बस मुस्कुराए,
हर गम भुला के प्यार भरे सपने सजाए,
इन हसीन पलों की खुशबु इस दिल को बहुत भाए,
शायद इन पलों का संगम ही जन्नत कहलाए। Read more