मलाल इस बात का रहेगा उम्र भर मुझे
बहुत देर से आई जिंदगी की कदर मुझे
–सुरेश सांगवान’सरु’
मलाल इस बात का रहेगा उम्र भर मुझे
बहुत देर से आई जिंदगी की कदर मुझे
–सुरेश सांगवान’सरु’
अंधेरों को हमसफ़र किया जाये
नज़रों को यूँ तेज़तर किया जाये
निकले हुए हैं तीर ज़माने भर से Read more
जहां तक हो सका हमने तुम्हें परदा कराया है
मगर ऐ आंसुओं! तुमने बहुत रुसवा कराया है
चमक यूं ही नहीं आती है खुद्दारी के चेहरे पर Read more
चांदनी क्यों इतराती है खुद पे इतना,
कंही छुप जाये मेहताब,तो क्या होगा,
कुछ रुका सा है,नाजुक सी पलकों में, Read more
जिंदगी एक, और मौत हज़ार मिली,
हमें गम-ए-फ़िज़ा, तुम्हें बहार मिली,
मैने वफ़ा के नाम पे, लुटाया आशियाँ, Read more
सब के कहने से इरादा नहीं बदला जाता
हर सहेली से दुपट्टा नहीं बदला जाता
हम तो शायर हैं सियासत नहीं आती हमको Read more
कुछ नहीं रखा ए दोस्त हाथ की लकीरों में
इक उम्र बिताई है हमने भी फकीरों में
सुरेश सांगवान’सरु’
वो जाते हुये प्यार में, निशानी दे गया,
इक उम्रभर को, आँख में पानी दे गया,
ज़माने से छुपाई थी, बातें मोहब्बत की,
वो ज़माने को सुनाने को, कहानी दे गया,
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मनोज सिंह”मन”
कुछ इस तरह से बदनाम, मै ज़माने में रहा,
कि नाकाम हर इक रिश्ता, निभाने में रहा,
ये कैसे बताये उनको, कि मगरूर नही हम, Read more
ना हवाओं का घर कहीं साँस भी चलती रहती है
हाय जाता कहाँ है वक़्त उम्र भी कब ठहरती है
सुरेश सांगवान’सरु’
उल्फ़त में ग़म के ख़ज़ाने क्या- क्या निकले
हम अपनी आँखों को दिखाने क्या- क्या निकले
समझा था ये दिल तो उसे ही मंज़िल अपनी Read more
तुझे याद ना करू तो जिस्म टूटता है मेरा फ़राज़
उम्र गुजरी है तेरी याद का नशा करते करते…
ग़ज़ल कुछ इस तरह से लिखने लगा है वो,
खुशबू की तरह दिल में महकने लगा है वो ।
आसुओं से करता रहा नफ़रतें जो उम्र भर, Read more
आँख के आंसू सूख चले हैं,
होठों की मुस्कान है खो चली,
अब तो तेरी याद में, Read more
इक तेरे चेहरे के सिवा अब कोई चेहरा अच्छा नही लगता,
उफ़ ये इश्क है या है कोई मर्ज़ कि कुछ अच्छा नही लगता,
कुछ ऐसा करो सनम कि रह जाओ उम्रभर के लिये, Read more
वो उम्र भर तो साथ निभा ना सका मेरा लेकिन,
याद बनकर उसने मुझे कभी तन्हा ना छोड़ा…<3
रात की कालिख जब उफ़ान पर होती है
तेरी बाहों के चिरागों से तब सहर होती है
रोती है बहुत तब कोई नादान चकोरी Read more
कितना आसां था तेरे हिज्र में मरना जाना;
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते-जाते।
हिज्र: जुदाई