रहा फैसला निकहा दादू,
होइ गइ चूक समीक्षा मा।
बिन तइयारी बइठी गये हों Read more
बिना गाली-गलौज के उस बद्जबान को मेरा जवाब –
भारत माँ के जयकारे का,
तुझको है कोई ज्ञान नहीं।
तू फर्जों को भूल गया, Read more
बुधिया ने हर बार की तरह
इस बार भी
पूरा खेत बोया था
लहलहाती फसलों को देख Read more
हर इंसान का धर्म होता है
धर्म आपसी एकता का
एक मजबूत जोड़ है
समाज में धर्म के नाम पर Read more
एक दौर
जहाँ सिर्फ प्रगति की
विकास की बातें होनी थी
अत्याचार, भ्रष्टाचार के खिलाफ Read more
छोटी-छोटी बातों पर
गतिरोधी घटनाएँ
और उन पर फिर सियासत Read more
फिर गद्दारों का मान हुआ,
भारत माँ का अपमान हुआ।
दिल्ली की स्वच्छंद हवाएं क्यों बदली, Read more
गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ कुछ पंक्तियाँ —
भारत भूमि बलिदानों की, बड़े कठिन से पाया,
जिसको हँसकर बड़े विधि से, रब ने रम्य बनाया। Read more
छोटी-छोटी जंगली बेरों की
पुड़िया बनाकर
नमक के साथ Read more
बेटी बचाओ,बेटी पढा़ओ से प्रेरित मेरी रचना “बेटियाँ” के कुछ अंश….
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बेटियाँ कच्चे बाँस की तरह,
पनपती आधार हैं। Read more