किस पर क्या गुजरी किसी को क्या खबर
कुछ नहीं मिलता किसी को अपना हाल सुना के।
होता है हर एक का ख़्याल अपना नज़र अपनी
दौर-ए-गुमनामी में रखिये सिर्फ़ ख़बर अपनी
–सुरेश सांगवान’सरु’
उस जगह की पहले सी क्यों, शामो-सहर नहीं है,
क्यों तेरा शहर मेरा शहर नहीं है।
जब भी आया यहां मेहमान की तरह, Read more
लगा के सीने से नदियों ने दी ख़बर
समंदर है लेकिन वो खारा बहुत है
——–सुरेश सांगवान’सरु’
आह को चाहिए इक उम्र, असर होने तक
कौन जीता है तिरी जुल्फ के सर होने तक
दामे हर मौज में है, Read more