बुधिया ने हर बार की तरह
इस बार भी
पूरा खेत बोया था
लहलहाती फसलों को देख Read more
बुधिया ने हर बार की तरह
इस बार भी
पूरा खेत बोया था
लहलहाती फसलों को देख Read more
पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैं
ज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं
मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर में Read more
घर मेरी उम्मीदों के सरहद पार तेरा है
दिल के आइने में फिर भी इंतज़ार तेरा है
—सुरेश सांगवान’सरु’
अग्निकुंड में डूब कर
भी “मैं” नहीं पिघलता
जलता हूं फिर भी नही मरता Read more
साँस टूट चली है इक तुम तक आने में
अभी तो घर भी जाना है यहाँ से
—सुरेश सांगवान’सरु’
इस क़दर अजनबीपन अपने ही घर में लगा
जो भी अकेला मिला अपना सा लगने लगा..
आभा..
पास आने नहीं देते
मुस्कुराने नहीं देते
बोझ ज़िम्मेदारियों के Read more
उन नादानियों के दौर से यूँ हम भी गुज़रे थे,
अब क्या बताये आपको कि कैसे बिखरे थे,
शिकवे शिकायत रूठना रोज़ की बात रही, Read more
उन नादानियों के दौर से यूँ हम भी गुज़रे थे,
अब क्या बताये आपको कि कैसे बिखरे थे,
शिकवे शिकायत रूठना रोज़ की बात रही, Read more
ना हवाओं का घर कहीं साँस भी चलती रहती है
हाय जाता कहाँ है वक़्त उम्र भी कब ठहरती है
सुरेश सांगवान’सरु’
मिला जो हमें प्यार से, वो अपना सा लगा,
बिन मागें मिल गया सब,तो सपना सा लगा,
बिटिया विदा हुई घर से, रोया मै ज़ार ज़ार, Read more
सिर पर भारी बोझ उठाये चलता है
जिससे सारे कुनबे का पेट पलता है
आंगन से बाहर नहीं निकल पाती Read more
मेरे घर के रास्ते में नदिया नहीं बहती है
वक़्त की धूल है जो उँगलियों से झरती है
ले सको तो ले लो अपने दुःख औ अपने सुख Read more
बिके न सच और झूठ की दुकान बहुत हैं
वो इसलिए की दिल छोटा अरमान बहुत हैं
घर बसाना है मुश्किल ए दौर-ए-तरक्की Read more
अपने घर के सब दरवाज़े खोल दो
बंद कमरों में गीत नहीं लिख पाऊँगा ।
नक़ाब सारे हटा दो अपने चेहरे के Read more
कभी क़ातिल कभी ख़ुदा होगा
उनकी आँखों में क्या नहीं होगा ।।
अपने घर से जिधर भी जायेंगे Read more
सामने के घर में जब देखी शमा,
अपने घर के वो उजाले याद आये।
भूलना चाहा किया जब दिल उन्हें, Read more
मेरे खपरैल वाले घर मे आज भी खूंटी पर लटका तेरी यादों का झोला…
ऐ अन्ज़ान वो जब भी खुलता है…
सच कहती हूं, पूरे घर में तुम्हारी खुशबू भर जाती है।
यूं भी जी लूंगी बस जिये जाने तो दो
काटूंगी बलायें ज़रा लफ्जों पे धार आने तो दो
अंधेरा मुंह छुपा के भाग जायेगा Read more
ग़ज़ल कुछ इस तरह से लिखने लगा है वो,
खुशबू की तरह दिल में महकने लगा है वो ।
आसुओं से करता रहा नफ़रतें जो उम्र भर, Read more