फेर ली ग़र निगाहें, हया से किसी ने,
फ़कत इक नजाकत थी,नफरत न थी।
फिर तकल्लुफ किया,बदली राहें सभी, Read more
फेर ली ग़र निगाहें, हया से किसी ने,
फ़कत इक नजाकत थी,नफरत न थी।
फिर तकल्लुफ किया,बदली राहें सभी, Read more
वो फूल निकला खुश्बू मुझमें छोड़ गया
हम खार बन के रह गए चुभते हैं आज भी
—सुरेश सांगवान’सरु’
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा
बेवक़्त अगर जाऊँगा, सब चौंक पड़ेंगे Read more
हौसलों की आज उड़ान देखिये
और सूरत-ए- आसमान देखिये
फूल पे बिखरी मुस्कान देखिये Read more
दूर जाने से पहले, मेरी जिंदगानी ले जा,
तू मेरे नादाँ दिल से, थोड़ी नादानी ले जा,
कैसे बताओगे सबको, जुदाई का सबब तुम, Read more
रूठ जाये अगर तक़दीर तो मनाकर देखो
फूल मेहनत के हथेली पर उगाकर देखो
—–सुरेश सांगवान’सरु’
अय हमसुखन वफ़ा का तक़ाज़ा है अब यही
मैं छोड़ दूं तेरा शहर जो तू कहे गली
क्यूंकर यकीन आये मुहब्बत का हमनशीं Read more
फूलों के शहर में घुमाता है कोई
रह-रह के हाय याद आता है कोई
उल्फ़त में ग़म के ख़ज़ाने क्या- क्या निकले
हम अपनी आँखों को दिखाने क्या- क्या निकले
समझा था ये दिल तो उसे ही मंज़िल अपनी Read more
तुम्हारे खूबसूरत नैन मुझे क्यूँ याद आते हैं।
मेरे दिल को बहुत बेचैन ये क्यूँ करते जाते हैं।।
वो हर पल जो तुम्हारे साथ गुज़रा याद आता है Read more
बहुत समय पहले की बात है ,किसी गाँव में एक किसान रहता था . वह रोज़ भोर में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था . इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था , जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था . उनमे से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था ,और दूसरा एक दम सही था . इस वजह से रोज़ घर पहुँचते -पहुचते किसान Read more
मैं तुम्हारे लिए, जिंदगी भर दहा,तुम भी मेरे लिए रात भर तो जलो !
मैं तुम्हारे लिए, उम्र भर तक चला,तुम भी मेरे लिए सात पग तो चलो..!
दीपकों की तरह रोज़ जब मैं जला,तब तुम्हारे भवन में दिवाली हुई, Read more
देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं
सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैं
धूमधाम से साज-बाज से वे मंदिर में आते हैं Read more
जो बीत गई सो बात गई…
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया Read more
मर्ज़ भले कोई हो ट्रीटमेंट ज़रूरी है
जंक फूड के साथ सप्लिमेंट ज़रूरी है
रखिये न इसे बाँधकर ज़ोर ज़बर दस्ती से Read more
चाँद की बस्ती में काफ़िला सितारों का मिले
उठा दो जहाँ पलकें मौसम बहारों का मिले
दुनियाँ की भीड़ थी और हम आप से मिले Read more
शक्ल गर मेरी बदल गयी है
सूरत तुम्हारी भी अलग होगी
ये वक्त कब किसका सगा हुआ है Read more
ये मोहब्बत है पनाह में नहीं रहती
बहुत देर ख़ुश्बू गुलाब में नहीं रहती
बिखर जाती हूँ कागज पर बन के मोती Read more
हालात ही बदले न खुद को बदल पाये हम
समझी हमें दुनियाँ न उस को समझ पाये हम
किसको फ़ुरसत है जो बैठे पूछे दास्तां Read more