जमा पूरी रकम को, कालाधन न कहो साहब,
गरीबों के एक-एक रुपये का,उसी में हिसाब है।
कालाधन तो अब,आप जैसों से निकले हैं,
जो कि हर हाल में, देशहित में खराब है।
गड्डी महलों की या न निकली,
अपने बटुए से नोट पुराने चले गए।
सुबह शाम हम खड़े कतारों में हर दिन,
बैंकों से महलों में पैसे चले गए।
# नोटबंदी- एक सिलसिला#
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दिल में कोई राज हो तो मत छुपाना,
धड़कन-ए-आवाज हो तो मत छुपाना।
मित्रता के हर कयास पर कायम रहूंगा मैं, Read more
तड़ित की चमक-दमक में देखो,मेघों ने आवाज किया,
हल्की-फुल्की बूँदों से कैसे, बारिश का आगाज किया।
देखो बेल हुई मतवाली ,कुँन्जें सारी मदहोश हुई,
उपवन ने भी अपने रुख का मधुशाला अंदाज किया।
तड़ित की चमक-दमक में देखो, मेघों ने आवाज किया,
हल्की-फुल्की बूँदों से कैसे, बारिश का आगाज किया।
देखो बेल हुई मतवालों, कुँन्जें सारी मदहोश हुई,
उपवन ने भी अपने रुख का मधुशाला अंदाज किया।
शाम जैसे-जैसे सहर को ढ़लती गई,
हसरत की आंधी दिल में मचलती गई।
वो आएं न आएं मुकर्रर उनको करना है,
अपनी तो हर रात तसव्वुर में ही पलती गई।
बस्तियां, महल, नगर उजड़ जाते हैं,
बसे बसाये मंज़र, उजड़ जाते हैं।
कुदरत के आगे जोर कहां चलता है, Read more
तुम ही हो श्रृगार धरा का,
तुमसे है भूमि पावन।
जगत जननी अयुज तुम्ही हो,
करुं तुम्हें सौ बार नमन।
रोज़ हौसलाअफजाई होती है,
रोज़ उनकी गली में रुसवाई होती है।
कैसे बताऊँ ज़माने वालों को,
कितनी शिद्दत से बुलवाई होती है।
मेरे सूत्र उसी वक्त बेकार हो गये,
जब चापलूस ही उनके राज़दार हो गये।
मेरे तमाम रसूक तमाशाई रह गये,
काफिर उनके दोस्त अब खुद्दार हो गये। Read more
आदर्श मेरा वो नहीं, जो शीर्ष पर आसीन हो,
और अपने कर्म से, निष्कृय हो, उदासीन हो।
आदर्श मेरा निम्न स्तर का बशर होगा अगर,
कर्तव्य निष्ठा हो जिसे, निज स्वार्थ से विहीन हो।
दो पाटों के अनुशासन में, मौजों की रवानी देखो,
कहीं लबालब,कहीं रिक्तता,पुलिनों की कहानी देखो।
सदियों के सुख-दुख की, इतिहास बताती हैं नदियाँ,
और कभी टूटा अनुशासन,सदियों तक वीरानी देखो।
एक पल के लिए बनाने वाला भी रोया होगा,
किसी का अरमान जब यूँ मौत की नींद सोया होगा।
हाँथों की मेहँदी छूटी भी नहीं कि चूड़ियाँ तोड़नी पड़ी,
कौन है जो ये लम्हा देखकर न रोया होगा।