इक बार मुझे भर के नज़र देख लेने दो
अपनी मोहब्बत का असर देख लेने दो
हर तस्वीर में मेरी तेरे ही रंग हों Read more
इक बार मुझे भर के नज़र देख लेने दो
अपनी मोहब्बत का असर देख लेने दो
हर तस्वीर में मेरी तेरे ही रंग हों Read more
बुधिया ने हर बार की तरह
इस बार भी
पूरा खेत बोया था
लहलहाती फसलों को देख Read more
उस जगह की पहले सी क्यों, शामो-सहर नहीं है,
क्यों तेरा शहर मेरा शहर नहीं है।
जब भी आया यहां मेहमान की तरह, Read more
नहीं आसां नहीं है यहाँ सम्भल जाना
ज़िंदगी नहीं है मौसम का बदल जाना
—सुरेश सांगवान’सरु’ Read more
कितने बदल गये हालात किसी के जाते ही
बदली मौसम की भी जात किसी के जाते ही
गम किस बला का नाम है दर्द का पता ना था
निकली अश्क़ों की बारात किसी के जाते ही Read more
परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता
बडे लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना Read more
यादें तेरी भूलु कैसे मुझको तुम बतला जाओ,
बैठु में आँखें बंद करके और पास मेरे तुम आ जाओ।
जब सोंचु में तुमको ये दूरी मुझको डँसती है,
इस दूरी के मौसम को आकर के तुम झुठला जाओ।
-इन्दर गुन्नासवाला
जहां को दिलवालों की कद्र करते किसने देखा है
किसी पत्थर को आख़िर आह भरते किसने देखा है
सदा से आते जाते हैं मौसम ये रुत बहारों की Read more
यूँ मौसम का असर गया गोया
रंग-ए-गुल और निखर गया गोया
हुआ महसूस ये देखकर उसे Read more
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
तुम्हे ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा Read more
उतर आयेगी धूप भी धीरे धीरे इत्मीनान रख
मौसम अभी सर्द है और दिलों मे लावा है…..
आभा…..
कोई मंज़िल भी नहीं कहीं मुझे जाना भी नहीं
तेरी ख़ातिर ऐ ज़िंदगी मैं दीवाना भी नहीं
पुराने क़िस्सों की अब दुहाई ना दिया कर मुझे Read more
फिर से तेरी यादें मेरे दिल के दरवाजे पे खड़ी हैं,
वही मौसम, वही सर्दी, वही दिलकश ‘जनवरी’ है…♥
ज़िंदगी अपनी है फिर भी उधार लगती है
कुछ और नहीं ये दुनियां बाज़ार लगती है
तेज़ धूप और बारिश ने ये हाल कर दिया Read more
चाँद की बस्ती में काफ़िला सितारों का मिले
उठा दो जहाँ पलकें मौसम बहारों का मिले
दुनियाँ की भीड़ थी और हम आप से मिले Read more
बोल रहा था कल वो मुझसे हाथ में मेरा हाथ लिए
चलते रहेंगे सुख-दुख के हम सारे मौसम साथ लिए।
उसने अपनी झोली से कल प्यार के हमको फूल दिए Read more
बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है ,
न रोया कर बहुत रोने से छाती बैठ जाती है ,
यही मौसम था जब नंगे बदन छत पर टहलते थे, Read more
जाने क्या बात हुई कुछ दूरियों का सा गुमान है
मेरे महबूब तेरी हर अदा तेरे मौसम का पता देती है
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का ख़िलौना हैं
मिल जाये तो मिट्टी हैं खो जाये तो सोना है
अच्छा सा कोई Read more
लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते, बस्तियाँ जलाने में
और जाम टूटेंगे, Read more