ऐ अन्ज़ान,
जब से वकालत में आया हूँ, मेरी नींद भी अजीब हो गई है,
रात भर आती नही, और दिन भर जाती नही।
कहीं रातो से जागी हूँ मुझे इस रात सोने दो,
तेरे गितो को सुनकर के मुझे बेहोश होने दो,
कहीं सदियों से बस मैं युहि हसती आई हूँ
तुमसे मिलकर आज मुझको ये पलकें भिगोना दो,
बहुत ढूंढा है जिन्दगी को, इतना थक चुकी हूँ मैं,
कि बस अब मुझे जमाने में कहीं गुमनाम रहने दो,
रह-रह कर अब याद आ रहा,
वो मेरा एकाकी जीवन।
इक कमरे का रहवासी था, Read more
उनकी यादों को पहन……….कर मतवाली हुयी जाती है
ऎ रात……….. इस सांझ को काजल का टीका लगा दो ना….
आभा चन्द्रा…
शाम जैसे-जैसे सहर को ढ़लती गई,
हसरत की आंधी दिल में मचलती गई।
वो आएं न आएं मुकर्रर उनको करना है,
अपनी तो हर रात तसव्वुर में ही पलती गई।
आज मुद्दत बाद महफिल में शिरकत किया है कोई,
कि इस नाचीज पे रेहमत किया है कोई।
आज इतना खूबसूरत क्यों लगता है ताज, Read more
तीरगी चांद के ज़ीने से सहर तक पहुँची
ज़ुल्फ़ कन्धे से जो सरकी तो कमर तक पहुँची
मैंने पूछा था कि ये हाथ में पत्थर क्यों है Read more
शाम ढली हम घर चले
दिन भर मस्ती कर चले
रातें लाई घर हमें Read more
सोई हुई रातों में, धड़कनें बढ़ाती है,
कोई तो है जो दिल को लुभाती है।
उस बात की आज भी, देखिए खुमारी है, Read more
कल रात चुपके से दिसम्बर ने ये सरगोशीं की,
ऐ अन्ज़ान,
क्यूँ ना इक बार फिर तुम्हें हँसा दूँ जाते -जाते।
ऐ अन्ज़ान,
नवम्बर की तरह हम भी अलविदा कह देंगें इक दिन।
फिर ढूँढते फिरोगे हमें दिसम्बर की सर्द रातों मे।
बे-क़रारी शोर मचा सकती है
आसमाँ सर पे उठा सकती है
रू-ब-रू हो मौत से इक बार तू Read more
मैं कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है
मगर उसने मुझे चाहा बहुत है
खुदा इस शहर को महफूज़ रखे Read more
उन नादानियों के दौर से यूँ हम भी गुज़रे थे,
अब क्या बताये आपको कि कैसे बिखरे थे,
शिकवे शिकायत रूठना रोज़ की बात रही, Read more
उन नादानियों के दौर से यूँ हम भी गुज़रे थे,
अब क्या बताये आपको कि कैसे बिखरे थे,
शिकवे शिकायत रूठना रोज़ की बात रही, Read more
आज तक सब खोया ही खोया था, बस एक तुम्ही को पाया है
और तुम भी अलविदा कह गये ये कहकर की छोड़ो सब मोह माया है
तुम क्या जानो क्या हालत हो गई है इस दिल की,
जो पूरी रात तुम्हारी याद मे रोया है।
ना मिलता है सुबह शुभ दिन का संदेश तुम्हारा ना रात में तुम्हारे ख्वाबों का साया है
आखिर ऐसी क्या वजह है जो तुम्हें ये लगने लगा की सब मोह माया हैं।
यू गुमसुम ना बैठा करो,कभी खुद में भी होया करो,
क्यों गुनाह दिल से हुआ,कभी तुम भी तो सोचा करो,
क्यों घुट घुट के जीते हो,यू अश्क अपने ही पीते हो, Read more
अभिमान अक्ल को खा जाता है-एक प्रेरणादायी कहानी…
एक घर के मुखिया को यह अभिमान हो गया कि उसके बिना उसके परिवार का काम नहीं चल सकता।
उसकी छोटी सी दुकान थी। उससे जो आय होती थी, उसी से उसके परिवार का गुजारा चलता था। Read more
इस दुनिया के सबसे खुशनसीब शख्स हम होते,
गर इस तन्हा रात में तकिये की जगह हमारी बांहों मे तुम होते।
बहुत ढूंढा मैने
पर
अब नही मिलते हैं
वो पुराने दिन
जो Read more