दर्द लाख सही बेदर्द ज़माने में
मगर जाता भी क्या है मुस्कुराने में
सुरेश सांगवान ‘सरु
दर्द लाख सही बेदर्द ज़माने में
मगर जाता भी क्या है मुस्कुराने में
सुरेश सांगवान ‘सरु
न डर दुश्मनों से जमाने से न डर,
डर दुराचार से बुराई से डर।
नेकी ही तेरी बदी को भगायेगी, Read more
घड़ी की सुई हूँ रुक जाना है इक दिन मुझे
वो वक़्त है साथ ज़माने के चलना है उसे
—सुरेश सांगवान ‘सरु’
अंधेरों को हमसफ़र किया जाये
नज़रों को यूँ तेज़तर किया जाये
निकले हुए हैं तीर ज़माने भर से Read more
रोज़ हौसलाअफजाई होती है,
रोज़ उनकी गली में रुसवाई होती है।
कैसे बताऊँ ज़माने वालों को,
कितनी शिद्दत से बुलवाई होती है।
धोखा लगी मेरी मोहब्बत ज़माने को,
वो जो कईयों से कर रही है उसे प्यार कहते हैं….
इन्दर गुन्नासवाला
वो जाते हुये प्यार में, निशानी दे गया,
इक उम्रभर को, आँख में पानी दे गया,
ज़माने से छुपाई थी, बातें मोहब्बत की,
वो ज़माने को सुनाने को, कहानी दे गया,
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मनोज सिंह”मन”
कुछ इस तरह से बदनाम, मै ज़माने में रहा,
कि नाकाम हर इक रिश्ता, निभाने में रहा,
ये कैसे बताये उनको, कि मगरूर नही हम, Read more
किस्मत ने साथ छोड़ा तो पानी की बूँद के लिए तरस गये
मोहसिन
वरना एक जमाना ऐसा था लोग रो रो के आंसू पिलाते थे…
अपने घर के सब दरवाज़े खोल दो
बंद कमरों में गीत नहीं लिख पाऊँगा ।
नक़ाब सारे हटा दो अपने चेहरे के Read more
पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में,
नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है…!!
‘ग़ज़ब’ की ‘एकता’ देखी “लोगों की ज़माने में” … !
‘ज़िन्दों’ को “गिराने में” और ‘मुर्दों’ को “उठाने में” … !!
गए ज़माना हुआ तुझे,
ऐ मेरे लख्त-ए-जिगर,
आ भी जा अब लौट कर, Read more
इक तेरे चेहरे के सिवा अब कोई चेहरा अच्छा नही लगता,
उफ़ ये इश्क है या है कोई मर्ज़ कि कुछ अच्छा नही लगता,
कुछ ऐसा करो सनम कि रह जाओ उम्रभर के लिये, Read more