मीठी नशीली बातों का काफ़िला भी देखा है
जाने ग़ज़ल हमने वो काफ़िया भी देखा है
पूछे लोग मुझसे क्या मैक़दा भी देखा है Read more
मीठी नशीली बातों का काफ़िला भी देखा है
जाने ग़ज़ल हमने वो काफ़िया भी देखा है
पूछे लोग मुझसे क्या मैक़दा भी देखा है Read more
दुनियां तेरी भीड़ में शामिल मैं भी हूँ
तेरी तरहा दर्दो को हासिल मैं भी हूँ
इक अपना ख्याल रखा होता तो काफ़ी था Read more
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दिल में कोई राज हो तो मत छुपाना,
धड़कन-ए-आवाज हो तो मत छुपाना।
मित्रता के हर कयास पर कायम रहूंगा मैं, Read more
वो मृगनयनी चंचल चितवन सी, इठलाकर जब चलती है,
हर पग पे घुँघरू बजते हैं, हर पग पे पायल बजती है,
लगती वो जैसे आसमान की, परी कोई मचलती है, Read more
इक बार मुझे भर के नज़र देख लेने दो
अपनी मोहब्बत का असर देख लेने दो
हर तस्वीर में मेरी तेरे ही रंग हों Read more
सर-ए-राह-ए-तलब दुनियां ग़म लेती है
ज़ुल्फ है की उलझ कर ही दम लेती है
—सुरेश सांगवान ‘सरु’
तुम रहना अपने द्वार,
करना मेरा इंतजार,
हम दोनो को जाना है, Read more
बहती धारा के साथ बहो किनारा छोड़ दो
रखो यकीं खुद पे दुनियाँ का सहारा छोड़ दो
—-सुरेश सांगवान’सरु’
अपना ही शहर आज मुझे बेगाना क्यूँ लगा
मेरी ग़रीबी की हक़ीक़त अफ़साना क्यूँ लगा
प्यार सदा से था इसमें दिल ही ऐसा पाया है Read more
आँख में ख़्वाबों को सजाती हूँ
या कहो मुसीबतें बुलाती हूँ
जश्न महफ़िल में मैं मनाती हूँ Read more
दुनियाँ से न्यारी मेरी गुलगुल
पापा की प्यारी मेरी गुलगुल
आँखों का ख़्वाब रातों की नींद Read more
बे-क़रारी शोर मचा सकती है
आसमाँ सर पे उठा सकती है
रू-ब-रू हो मौत से इक बार तू Read more
दुनियां तमाम ख़रीद ली मेरी
नींद मगर भूल गये वो अमीर
—सुरेश सांगवान’सरु’ Read more
ज़िन्दगी तेरे दर्द से हारता है कोई
प्यार दुनियां का ज़रूर मुग़ालता है कोई
—सुरेश सांगवान
माँ ही गुरू माँ ही ज्ञान
ईश्वर का उत्तम वरदान
पाठशाला तू ही तो है Read more
ख़ुदाया प्यार में यूँ बंदगी अच्छी लगी
रही मैं ना मैं मुझे बेखुदी अच्छी लगी
खलाएँ जीस्त की मेरी तमाम भर गई Read more
मेरे बद हालात पर हँसने लगे है लोग,
ताने भी कैसे-कैसे अब कसने लगे है लोग।
समझ रहा था जिन चेहरों को अपना मैं,
उन चेहरों में अब पराये बसने लगे है लोग।
-इन्दर गुन्नासवाला
अजब दुनिया है नाशायर यहाँ पर सर उठाते हैं
जो शायर हैं वो महफ़िल में दरी-चादर उठाते हैं
तुम्हारे शहर में मय्यत को सब काँधा नहीं देते Read more
यही है इल्म मिरा यही हुनर भी है
नहीं फसील-ए-अना यही गुज़र भी है
बसी है कहाँ इंसानियत जानूं हूँ Read more
जहां को दिलवालों की कद्र करते किसने देखा है
किसी पत्थर को आख़िर आह भरते किसने देखा है
सदा से आते जाते हैं मौसम ये रुत बहारों की Read more