बुझे चराग़ में भी कुछ जला रखा है
ज़िंदगी में क्या जाने मज़ा रखा है
नहीं होता ज़ोर किसी का किसी पर Read more
बुझे चराग़ में भी कुछ जला रखा है
ज़िंदगी में क्या जाने मज़ा रखा है
नहीं होता ज़ोर किसी का किसी पर Read more
कोई दर्द, कोई चुभन जब हद से गुजर जाए,तो याद करना,
जिन्दगी में कभी जरूरत पड़ जाए,तो याद करना।
बिछड़ते वक्त के ये आखिरी, अल्फाज थे उनके, Read more
कभी पास बैठ कर गुजरा कभी दूर रह कर गुजरा
लेकिन तेरे साथ जितना भी वक्त गुजरा बहुत खूबसूरत गुजरा ।
थम जा ऐ वक्त आज यही पर,
फिर ना जाने कब उनसे मुलाकात होगी।
दिल के जख्मों पर, मलहम लगा दिया,
वरना नासूर हो जाता, तो क्या करता।
नामूमकिन ख्वाबों को, खामोश कर दिया, Read more
घड़ी की सुई हूँ रुक जाना है इक दिन मुझे
वो वक़्त है साथ ज़माने के चलना है उसे
—सुरेश सांगवान ‘सरु’
उस जगह की पहले सी क्यों, शामो-सहर नहीं है,
क्यों तेरा शहर मेरा शहर नहीं है।
जब भी आया यहां मेहमान की तरह, Read more
कितने बदल गये हालात किसी के जाते ही
बदली मौसम की भी जात किसी के जाते ही
गम किस बला का नाम है दर्द का पता ना था
निकली अश्क़ों की बारात किसी के जाते ही Read more
मेरे सूत्र उसी वक्त बेकार हो गये,
जब चापलूस ही उनके राज़दार हो गये।
मेरे तमाम रसूक तमाशाई रह गये,
काफिर उनके दोस्त अब खुद्दार हो गये। Read more
सोई हुई रातों में, धड़कनें बढ़ाती है,
कोई तो है जो दिल को लुभाती है।
उस बात की आज भी, देखिए खुमारी है, Read more
आँख में ख़्वाबों को सजाती हूँ
या कहो मुसीबतें बुलाती हूँ
जश्न महफ़िल में मैं मनाती हूँ Read more
दिल के जख्मों पर, मलहम लगा दिया,
वरना नासूर हो जाता, तो क्या करता।
नामूमकिन ख्वाबों को, खामोश कर दिया, Read more
यादों की कतरन जोड़ कर मैं आंचल बुन रही हूं
वक्त का रेशम धागा लेकर इक इक लम्हा चुन रही हूं
आभा..
दोस्त मिरे ये जानकर आराम आ गया
अपना वही है वक़्त पे जो काम आ गया
–सुरेश सांगवान’सरु’ Read more
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा
बेवक़्त अगर जाऊँगा, सब चौंक पड़ेंगे Read more
ख़ुदाया प्यार में यूँ बंदगी अच्छी लगी
रही मैं ना मैं मुझे बेखुदी अच्छी लगी
खलाएँ जीस्त की मेरी तमाम भर गई Read more
जहां तक हो सका हमने तुम्हें परदा कराया है
मगर ऐ आंसुओं! तुमने बहुत रुसवा कराया है
चमक यूं ही नहीं आती है खुद्दारी के चेहरे पर Read more
जो नज़रो से एहतराम,हमारा नही करते,
उनसे गुफ्तगूं भी, हम गंवारा नही करते,
तरसते रहे दीवाने, उनके दीद को,मगर, Read more
जहां को दिलवालों की कद्र करते किसने देखा है
किसी पत्थर को आख़िर आह भरते किसने देखा है
सदा से आते जाते हैं मौसम ये रुत बहारों की Read more
अनकहे इश्क़ की भी क्या अजीब हकीकत हैं,
बस निखरता ही जाता हैं यूँ वक्त गुजरते गुजरते..