मुझे तूझसे कोई सिकवा नही
तेरे दरद को श्यारी बना दिया
मैंने भी अपने हारे मुकदर को
तेरी याद में जीत का सिकंदर बना दिया
-Nisha nik.
मुझे तूझसे कोई सिकवा नही
तेरे दरद को श्यारी बना दिया
मैंने भी अपने हारे मुकदर को
तेरी याद में जीत का सिकंदर बना दिया
-Nisha nik.
बुझे चराग़ में भी कुछ जला रखा है
ज़िंदगी में क्या जाने मज़ा रखा है
नहीं होता ज़ोर किसी का किसी पर Read more
पिला दे कितनी भी साक़ी फिर भी
रह जाती है क़सक बाक़ी फिर भी
–सरु
तेरे संग जीने की चाहत है
तुझसे मिलने की उल्फत है
एक बार जो तुझसे मिल लू
यही मेरी इबादत है।
-Nisha nik.
वो मज़ा ए तड़प कहाँ ग़र सब एक साथ मिल जाय,
ग़ुमनाम किश्तों मे मरने का मज़ा ही कुछ और है… ग़ुमनाम
तेरे दिल में मेरे प्यार की जो बातें हैं,
तुझे उन बातों की कसम,
तेरे प्यार के किस्से मेरे हिस्से… Read more
ऐ जिन्दगी मुझे तुझसे बस इतना चाहिए
तू कभी मेरा साथ देना या मत देना Read more
किस दर जाऊ ?
मुझे पता ही नही
किससे मांगू ? Read more
हम दुअओ में तुम्हे मांगना नही चाहते
पर तुम्हे ही पाने की सोचते है Read more
#G3
कौन कहता है ख़ामोशी बदग़ुमां है,
ज़रा ग़ौर से सुनिये इसकी अपनी ज़ुबां है, Read more
तड़ित की चमक-दमक में देखो,मेघों ने आवाज किया,
हल्की-फुल्की बूँदों से कैसे, बारिश का आगाज किया।
देखो बेल हुई मतवाली ,कुँन्जें सारी मदहोश हुई,
उपवन ने भी अपने रुख का मधुशाला अंदाज किया।
ऐ अन्ज़ान,
जब से वकालत में आया हूँ, मेरी नींद भी अजीब हो गई है,
रात भर आती नही, और दिन भर जाती नही।
ऐ अन्ज़ान,
इस वकालत के पेशे में हर तरीका हमने आजमा के देखा है,
जो किस्मत से नही मिलते, वो किसी कीमत पर नही मिलते।
कोई दर्द, कोई चुभन जब हद से गुजर जाए,तो याद करना,
जिन्दगी में कभी जरूरत पड़ जाए,तो याद करना।
बिछड़ते वक्त के ये आखिरी, अल्फाज थे उनके, Read more
आंसुओ का कैसा ये मंजर है
ऐसा लगता आँखो में ही समन्दर है
आब -ए -चश्म आँखो से सदा बहता है
ऐसा लगता समन्दर का आब -ए -तल्ख़ है।
-Nisha nik
आँखो में मेरे शराब है
पुरा बदन शब्ब है
अगर चाहत हो हुजूर को होठो से जाम चकने की
मयखाना -ए -शब्ब तैयार है।
तुम ने चाहत भरी नजरो से देखा हमें
हम गलत समझ बैठे
तुम्हारे इस दिल लगी को मोहब्बत समझ बैठे।
कभी पास बैठ कर गुजरा कभी दूर रह कर गुजरा
लेकिन तेरे साथ जितना भी वक्त गुजरा बहुत खूबसूरत गुजरा ।
मायूस हो गया हूँ जिंदगी के सफर से इस कदर
कि ना खुद से मिल पा रहा हूँ ना मंजिल से।
थम जा ऐ वक्त आज यही पर,
फिर ना जाने कब उनसे मुलाकात होगी।