खुदाया क्या खूब हुनर पाया है उन्होंने ख़ामोशी का,
ग़ुमनाम, वो लब भी नहीं हिलाते और दास्ताँ हो जाती है… ग़ुमनाम
हम खुबसूरत नही औरो की तरह
पर इस में भी गलती हमारी नही
उस ऊपर वाले ने हमे बनाने में जल्दी कर दी
इसलिए चेहरा बनाने में कुछ कमी कर दी।
राधा सुकुमारी
प्यार से भी प्यारी
कान्हा के मुरली के तनो पर झुमती ये बृज दुलारी Read more
हसरत अभी बाकी है कुछ शाम अभी बाकी है,
तेरे होठों पे थिरकती हुयी ग़ज़ल लगती है यूँ,ग़ुमनाम मयकदे में हूँ, और जाम अभी बाकी है, Read more
ऐ अन्ज़ान बाबू,
जो खुद बदनाम है आज़मगढ़ शहर में,
वो… अब हमें बताता है जीने का तरीका।
ये ज़र, ये जमीं, ये सारे एहतमाम,
अदावत हैं यहीं के, वरना कहां से लाया था मैं।
बड़ी तकलीफ देती है वो ख्वाहिशें
जो हजारों कोशिश करने के बाद भी मुक्कमल नहीं होती।
एक टीस सी उठती है दिल में जब वो कहते हैं
कि मोहब्बत तो है मगर किसी और से।
मोहबत में तन्हाई है
तेरे और मेरे मिलने में रूसवाई है
तूने अपनो को छोङा मेरे लिए
खुदा की नाइंसाफी देखो
मैने जग ही छोङ दिया तेरे लिए।
टुटती हूँ हर पल ऐसे
जैसे किसी के हाथो का खिलौना बन गई हूँ
कभी किसी के साथ को पाने के लिए टूटती हूँ
तो कभी किसी के साथ को भुलाने के लिए टूटती हूँ
कभी किसी के आँखो
यूँ चेहरे पर नक़ाब लगाते हैं लोग,
कुरेद के ज़ख्म मेरे, मुस्कुराते हैं लोग,
आइने का ही ऐतबार हो तो कैसे हो, Read more
मुद्दतों बाद वो दिखे मुझे,
पर अपनों की निगरानी थी,
खुश्बू जानी-पहचानी थी। Read more
कहीं रातो से जागी हूँ मुझे इस रात सोने दो,
तेरे गितो को सुनकर के मुझे बेहोश होने दो,
कहीं सदियों से बस मैं युहि हसती आई हूँ
तुमसे मिलकर आज मुझको ये पलकें भिगोना दो,
बहुत ढूंढा है जिन्दगी को, इतना थक चुकी हूँ मैं,
कि बस अब मुझे जमाने में कहीं गुमनाम रहने दो,
वो मृगनयनी चंचल चितवन सी, इठलाकर जब चलती है,
हर पग पे घुँघरू बजते हैं, हर पग पे पायल बजती है,
लगती वो जैसे आसमान की, परी कोई मचलती है, Read more
Hello everyone…
जब आया मेरा चांद छत पर चांद देखने
तो चांद भी मेरे चांद का दीवाना हो गया।
जरा बारिश क्या हुई मेरे शहर में
के तेरी यादें बिखर गयी सावन की तरह ।
रह-रह कर अब याद आ रहा,
वो मेरा एकाकी जीवन।
इक कमरे का रहवासी था, Read more
न देखिये यूं तिरछी निगाहों से मुझे,
अभी-अभी तो होश में आया हूँ मैं।
मदहोश था अब तक उनकी आराईश में यूं, Read more
ये अलहड सी हवायें,
मुझको तेरी याद दिलाती हैं।
जब पूरवायि चलती हैं
तो तेरे पास होने का ऐहसास दिलाती है।
ये गरम-गरम सी हवायें तेरे दूर होने की
खबर से मेरे दिल को जलाती है।
ये अलहड सी हवायें ,
मुझको तेरी याद दिलाती है।