राहत का जन्म इंदौर में 1 जनवरी 1950 में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी… Read More
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में उल्फ़त नई-नई है,अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में,… Read More
वक़्त शायरी | समय शायरी | Waqt Shayari in Hindi - Part 2 (26 से… Read More
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई जैसे एहसान उतारता है कोई आईना देखकर तसल्ली हुई… Read More
तीरगी चांद के ज़ीने से सहर तक पहुँची ज़ुल्फ़ कन्धे से जो सरकी तो कमर… Read More
वक़्त शायरी | समय शायरी | Waqt Shayari in Hindi - Part 1 (1 से… Read More
View Comments
very nice..
_____
बहुत कर्ज हो गया है दर्द का मेरे सीने में आज,
सोचता हूं मुहब्बत फिर से कर लूँ या दर्द वापस दे दूँ।