माना महरूम हुये है हम तेरी चाहत से,
मगर यकीं उठा नही है अभी मोहब्बत से,
जब भी दिख जाओगे कंही राहों में हमें,
देखा करेंगे हरदम तुम्हें बड़ी हसरत से,
कसम निभाने की हमें बुरी आदत है,
हम मजबूर है बहुत अपनी फितरत से,
ज़िक्र किया था कंही पे तुमने मेरा कभी,
सब समझते है तेरा मुझे इसी गफ़लत से,
बात दिल की बता देना हमें तुम भी कभी,
जब मिल बैठेंगे हम दोनों कंही फुरसत से.
~~~~~~~~~
मनोज सिंह”मन
राहत का जन्म इंदौर में 1 जनवरी 1950 में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी… Read More
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में उल्फ़त नई-नई है,अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में,… Read More
वक़्त शायरी | समय शायरी | Waqt Shayari in Hindi - Part 2 (26 से… Read More
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई जैसे एहसान उतारता है कोई आईना देखकर तसल्ली हुई… Read More
तीरगी चांद के ज़ीने से सहर तक पहुँची ज़ुल्फ़ कन्धे से जो सरकी तो कमर… Read More
वक़्त शायरी | समय शायरी | Waqt Shayari in Hindi - Part 1 (1 से… Read More
Leave a Comment