वक़्त शायरी, समय शायरी, Waqt Shayari in Hindi
वक़्त शायरी | समय शायरी | Waqt Shayari in Hindi – Part 1 (1 से 25 तक )
1.
उलझ गया था तुम्हारे दुपट्टे का कोना मेरी घड़ी से,
वक्त तब से जो रुका है तो अब तक रुका ही पड़ा है।।
2.
उसे शिकायत है कि मुझे बदल दिया वक्त ने,
कभी खुद से भी सवाल करना कि क्या तुम वही हो?
3.
शाम का वक्त हो और ‘शराब’ ना हो,
इंसान का वक्त इतना भी ‘खराब’ ना हो।।
4.
वक्त की धुंध में छुप जाते हैं ताल्लुक,
बहुत दिनों तक किसी की आँख से ओझल ना रहिये।।
5.
आदमी के शब्द नहीं,
वक्त बोलता है।।
6.
ना हँसना किसी के बुरे वक्त पे दोस्तों,
ये वक्त है जनाब चेहरे याद रखता है।।
7
वक्त इशारा देता रहा और हम इत्तेफाक समझते रहे,
बस यूँही धोके खाते रहे, और इस्तेमाल होते रहे।।
8.
वक़्त जब करवटें बदलता है,
फ़ित्ना-ए-हश्र साथ चलता है।।
-अनवर साबरी
9.
कभी वक्त निकाल के हमसे बातें करके देखना,
हम भी बहुत जल्दी बातों मे आ जाते है।।
10.
कुछ इस कदर खोये हैं तेरे ख्यालो में,
कोई वक़्त भी पुछता है तो तेरा नाम बता देते हैं।।
11.
कौन डूबेगा किसे पार उतरना है ‘ज़फ़र’
फ़ैसला वक़्त के दरिया में उतर कर होगा।।
-अहमद ज़फ़र
12.
जिन किताबों पे सलीक़े से जमी वक़्त की गर्द,
उन किताबों ही में यादों के ख़ज़ाने निकले।।
13.
हर वक़्त दिल को जो सताए ऐसी कमी है तू,
मैं भी ना जानू की इतनी क्यूँ लाज़मी है तू।।
14.
वक़्त बर्बाद करने वालों को,
वक़्त बर्बाद कर के छोड़ेगा।।
-दिवाकर राही
15.
जैसे दो मुल्कों को इक सरहद अलग करती हुई,
वक़्त ने ख़त ऐसा खींचा मेरे उस के दरमियाँ।।
-मोहसिन ज़ैदी
16.
चेहरा ओ नाम एक साथ आज न याद आ सके,
वक़्त ने किस शबीह को ख़्वाब ओ ख़याल कर दिया।।
-परवीन शाकिर
17.
उसकी कदर करने में जरा भी देर मत करना,
जो इस दौर में भी आपको वक्त देता हो।।
18.
दिल चाहता है हर वक़्त तेरे सदके उतारता रहूँ,
भला इस कदर भी हसीन होता है महबूब किसी का।।
19.
कैसे कहूँ कि इस दिल के लिए कितने खास हो तुम,
फासले तो कदमों के हैं पर, हर वक्त दिल के पास हो तुम।।
20.
पैसा कमाने के लिए इतना वक़्त खर्च ना करो की,
पैसा खर्च करने के लिए ज़िन्दगी में वक़्त ही न मिले।।
21
सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें,
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता।।
निदा फ़ाज़ली
22
वक़्त मेरी तबाही पे हँसता रहा,
रंग तकदीर क्या क्या बदलती रही।।
23
वक्त तो रेत है फिसलता ही जायेगा,
जीवन एक कारवां है चलता चला जायेगा
मिलेंगे कुछ खास इस रिश्ते के दरमियां,
थाम लेना उन्हें वरना कोई लौट के न आयेगा।।
24
सब एक नज़र फेंक के बढ़ जाते हैं आगे,
मैं वक़्त के शो-केस में चुप-चाप खड़ा हूँ।।
25
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का,
यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का।।
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